सीबीसी रक्त परीक्षण यह एक अवधारणा है जो समय-समय पर सामने आती है। यह एक बहुत ही सामान्य रक्त परीक्षण भी है। यह ब्लड टेस्ट कब और क्यों किया जाता है?
शरीर में कोई बीमारी या समस्या होने पर आमतौर पर डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। यदि आप लंबे समय से बुखार से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर आपको कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
अच्छी तरह से सीबीसी रक्त परीक्षणतुम्हें पता है कि यह क्या है? ज्यादातर लोग इस जांच को सामान्य रक्त जांच मानते हैं। तो क्या सच में ऐसा है?
सीबीसी ब्लड टेस्ट क्या है?
सीबीसी रक्त परीक्षणएक रक्त परीक्षण है जिसमें रक्त का पूरा कार्य किया जाता है। इसका संक्षिप्त नाम अंग्रेजी में "कंप्लीट ब्लड काउंट" है। यानी इसे कंप्लीट ब्लड काउंट के रूप में व्यक्त किया जाता है।
सीबीसी ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है?
कई स्थितियां हमारे रक्त में कोशिकाओं के वितरण में वृद्धि या कमी का कारण बनती हैं। इनमें से कुछ स्थितियों में उपचार की आवश्यकता होती है, जबकि अन्य अनायास हल हो जाती हैं।
इस टेस्ट से शरीर में खून की पूरी जांच की जाती है। परीक्षण में रक्त में रक्त कोशिकाओं की भी पूरी तरह से जांच की जाती है। यह कैंसर से लेकर संक्रमण और एनीमिया जैसी बीमारियों का पता लगाने वाला टेस्ट है।
सीबीसी ब्लड टेस्ट कब किया जाता है?
अगर शरीर में कोई परेशानी जैसे इंफेक्शन, बुखार है तो डॉक्टर आपको कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इस बीच आप कभी भी सीबीसी टेस्ट करा सकते हैं। हालांकि, कुछ समस्याएं और स्वास्थ्य स्थितियां हैं जिनके लिए डॉक्टर दृढ़ता से अनुशंसा करते हैं कि आप यह परीक्षण कराएं।
अगर शरीर में थकान, कमजोरी, बुखार या चोट लगने जैसी स्थितियां हैं तो सबसे पहले सीबीसी रक्त परीक्षण यह अनुशंसा की जाती है कि आप करें। इसके अलावा शरीर में खून की मात्रा को नियंत्रित करना, सर्जरी से पहले खून की जानकारी हासिल करना और कैंसर ऐसी समस्याओं में कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट की सलाह दी जाती है। इसके अलावा और भी कई समस्याओं के लिए डॉक्टर इस ब्लड टेस्ट की सलाह देते हैं। सीबीसी परीक्षण एक पांच या तीन-भाग अंतर मशीन के साथ किया जाता है जो रक्त परीक्षण करता है।
इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले शरीर से रक्त का नमूना लिया जाता है। इस नमूने का परीक्षण पांच- या तीन-पीस डिफरेंशियल मशीन से किया जाता है। टेस्ट के बाद ब्लड में मिले डिटेल्स के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। रिपोर्ट में रीडिंग के मुताबिक डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि मरीज किस समस्या से जूझ रहा है।
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